वरना इस उम्र में हमने क्यों ऐसा सोचा होगा। हमने क्यों ऐसा सोचा... वरना इस उम्र में हमने क्यों ऐसा सोचा होगा। हमने क्यों ऐसा सोचा...
बचपन की भी यादें कैसी यादें थी इक मिट्टी का घर बनाया करता था। बचपन की भी यादें कैसी यादें थी इक मिट्टी का घर बनाया करता था।
दोपहर को जब है खाना बनता, मिर्ची का लाल रंग हाथों में उमड़ता दोपहर को जब है खाना बनता, मिर्ची का लाल रंग हाथों में उमड़ता
सागर लहरें अंबर डोले, मुश्किलें जब अपना मुंह खोले, तब जाकर प्रभु का द्वार खुले, जैसे सागर लहरें अंबर डोले, मुश्किलें जब अपना मुंह खोले, तब जाकर प्रभु का द्वार ...
हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया, मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी। हाँ गुजरना था बचपन एक दिन गुज़र गया, मगर अपना बचपना खोने ना दूँगी।
बात सच्ची है यही.... बात सच्ची है यही....